INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

Poetry

तुम चोर हो, चोरी करते हो

तुम चोर हो, चोरी करते हो

आँखें खुली होतीं है तो सामने होते हो, जब बंद होती हैं तो पलकों के अन्दर होते हो, जब अकेली होती हूँ तो शरारत करते हो. तुम चोर हो, चोरी करते हो.

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Poetry
तुम्हारी नाराज़गी मेरी ज़रूरत है

तुम्हारी नाराज़गी मेरी ज़रूरत है

यह नफ़रत नही, एक सूरत है,
तुम्हारी नाराजगी मेरी जरूरत है…
यह कविता रिश्तों की उस अनकही सुंदरता को बयां करती है, जहाँ नाराज़गी भी ज़रूरत बन जाती है। यह दर्शाती है कि कभी-कभी रूठना, शिकायत करना और खफ़ा होना भी रिश्ते को गहराई देता है। यह सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि भावनाओं को समझने और संजोने का एक अवसर होता है।

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