पराई होती जिंदगी
पराई होती जिंदगी एक कविता के रूप में व्यक्ति की मज़बूरी चित्रित करता है. व्यक्ति अपने लिए कुछ नहीं कर पाता . उसकी अपनी ही जिंदगी उसके वश में नहीं होती.
पराई होती जिंदगी एक कविता के रूप में व्यक्ति की मज़बूरी चित्रित करता है. व्यक्ति अपने लिए कुछ नहीं कर पाता . उसकी अपनी ही जिंदगी उसके वश में नहीं होती.
अक्सर गुजरा हुआ सुनहरा वक्त, वर्तमान परिदृश्य में संदेहित हो जाता है . यकीन नही होता कि वास्तव में वह सच था या झूठ. “कल आज और कल ” इसी को चित्रित कराती रचना है.
किसी खामोश चेहरा को ध्यान से देखिये. वह एक किताब नजर आएगा. खामोश चेहरा पर एक अर्थपूर्ण कविता .
आज फिर हम,
जिंदगी के उस मोड़ पर आये है,
जिंदगी का लेखा जोखा साथ लेकर आये है,
देखे तो सही,
क्या खोया और क्या पाए है ?
जिदगी का लेखा-जोखा Read More »
Poetryकुछ लोग नववर्ष पर पागल हो जाते है. उन्हें भ्रम होता है एक नववर्ष पाने का और मुझे अफ़सोस होता है एक और वर्ष खोने का. हर बार नव वर्ष पूछता है “क्या करोगे नवबर्ष पाकर ?”
क्या करोगे नववर्ष पाकर ? Read More »
Poetryजिन्दगी छोटी है,
इसके बीच में छुपी जवानी,
और भी छोटी है.
कभी संभल जाती है
कभी फिसल जाती है,
मुठ्ठी की रेत है यह,
आहिस्ते से निकल जाती है…