तुम्हारी नाराज़गी मेरी ज़रूरत है
यह नफ़रत नही, एक सूरत है,
तुम्हारी नाराजगी मेरी जरूरत है…
यह कविता रिश्तों की उस अनकही सुंदरता को बयां करती है, जहाँ नाराज़गी भी ज़रूरत बन जाती है। यह दर्शाती है कि कभी-कभी रूठना, शिकायत करना और खफ़ा होना भी रिश्ते को गहराई देता है। यह सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि भावनाओं को समझने और संजोने का एक अवसर होता है।
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Poetry