INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

नज़रिया

हर घटना को देखने और महसूस करने का अपना अपना नज़रिया होता है. इसी भाव को कविता के रूप में दिखाया गया है. एक संदेशात्मक लघु कविता.

नज़रिया ...

नज़रिया
 

शायद,
आकलन की कमी थी,
वहां बिखरा था बहुत कुछ
पर दिख न सका,
यह नजरों का नही
नज़रिया का दोष था
किसी दोस्त ने कहा
कुछ चीजें नजरों से नही
नज़रिया से देखा करो,
मैंने फिर देखा,
दिन का कोना
जो कल रात तक कोरा था,
आज सुबह,
वह न कोरा था न अधूरा था …

           ***

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