ख़ूबसूरत ठहराव

स्रोत:– इरिसेट सिकंदराबाद में 36 लोगों
के साथ 26 दिनों का प्रशिक्षण के दौरान
एक सुखद अनुभूति जो अब सपना और
अविश्वसनीय लगता है ।
(जुलाई 29-अगस्त 23, 2019)
एक सुखद अनुभूति जो अब सपना और
अविश्वसनीय लगता है ।
(जुलाई 29-अगस्त 23, 2019)
यह ख्वाब है,
या वो ख़्वाब था
ये हक़ीक़त है,
या वो हक़ीक़त था
कल का जो आसियाना हमारा
अब वो कहीं खो गया है कही,
कोई पूछता है मुझसे,
कल तक जिस शहर में तुम थे
वो जमीं पर है
या कोई जन्नत का ठिकाना था …
कैसे समझाऊँगा
इस जिद्दी दिल को
जो वापस जाने को तैयार नही,
कैसे मनाऊँगा अपने आप को
जो गाण्डीव उठाने को तैयार नही
कैसे लड़ूंगा अपने कर्मयुद्ध से,
जिसमे दोस्तों का साथ नही
अब तो उस शहर की
यादें ही अपनी दौलत है,
हम फिर मिलेंगे
जीवन के किसी मोड़ पर
यह उम्मीद उनके बदौलत है…
अब तो अपना दिल
उस शहर में भटक जाता है,
पलकों के साथ
हर दृश्य बदल जाता है
भाषाओं का संगम,
रंगों की रंगत,
चेहरों की आकृति,
व्यंजनों की प्रकृति,
भावनावों की अभिव्यक्ति,
एक ख़ूबसूरत ठहराव था वह,
अब ख़्वाब नजर आता है …
★★★