मृगतृष्णा
क्यों उम्मीद रखते हो उसके आने की,
जो तुम्हारे हिस्से में नहीं आती,
निगाहें क्यों मिलाते हो उन सितारों से
जिनकी रोशनी तुम्हारे दरवाज़े तक नहीं आती…
मृगतृष्णा — एक कविता जो उन अधूरी इच्छाओं और भ्रमों की बात करती है, जो जीवन में हमें कभी संतुष्ट नहीं होने देतीं, बस दौड़ाते रहती हैं.