INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

जिदगी का लेखा-जोखा

आज फिर हम, जिंदगी के उस मोड़ पर आये है, जिंदगी का लेखा जोखा साथ लेकर आये है, देखे तो सही, क्या खोया और क्या पाए है ?

जिदगी का लेखा-जोखा ...

जिदगी का लेखा-जोखा

(स्रोत:- ( मुझे अक्सर सेवा निवृति समारोह के मौके पर कुछ बोलने को कहा जाता है. ऐसे ही अवसर पर उत्पन एक अभिव्यक्ति ) 

आज फिर हम,
जिंदगी के उस मोड़ पर चले आए हैं।
सामने एक आईना है,
जीवन यात्रा को दिखाने के लिए।
प्रतिबिंबित है लेखा-जोखा
हमें समझाने के लिए,
साक्षात प्रमाण यहाँ
हमें संभलने के लिए।
कितना मायूस रहे, कितना मुस्कराए हैं।
क्या खोया और क्या पाया है…

हम निर्देशित तो नहीं थे,
वो सब कुछ करने को
जो अब तक करते आए हैं।
ढकोसले रिश्ते, स्वार्थों का अंबार,
व्यर्थ की बातें, प्रायोजित प्यार,
पथ से विचलित कदमों की लकीरें,
लालच में डूबे दूषित विचार,
दौड़ते रहे अब तक जिसके लिए,
क्या उसे पकड़ पाए हैं।
यह एक ठहराव है मनन का,
क्या खोया और क्या पाया है…

कहाँ छुपी है
जिंदगी की सार्थकता?
कहाँ है वह वृक्ष?
जिसे हमें लगाना था,
जिसकी सुखद छाया
आने वाली पीढ़ियों को पाना था,
कहाँ है हमारी
सामाजिक जिम्मेदारियों का
वह सबूत?
कलंकित मानवता को
सृजित करने का सुखद स्वरूप
जिसे सृष्टिकर्ता को दिखाना था,
जिंदगी को जीतकर आना था,
क्या लेकर आना था, क्या लेकर आए हैं।
क्या खोया और क्या पाया है…

        ★★★

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