तुम चोर हो, चोरी करते हो ...

मेरे ख्यालों में,
बिना बताए आ जाते हो,
तन्हाई का कारण बनते हो
सपनों का हरण करते हो
दिन का हिस्सा तो बनते ही हो
रातों का भी अपहरण करते हो.
तन्हाई का कारण बनते हो
सपनों का हरण करते हो
दिन का हिस्सा तो बनते ही हो
रातों का भी अपहरण करते हो.
आंखे खुलतीं हैं तो सामने होते हो
जब बंद होती हैं तो,
पलकों के अंदर समा जाते हो
भीड़ में मेरा पीछा करते हो,
जब अकेली होती हूँ तो शरारत करते हो
तुम मेरी दुनियां में भ्रमण करते हो
मेरी सीमाओं का अतिक्रमण करते हो
परेशां हू,
पराजित हूँ, अपहरित हूँ,
सब कुछ खो चुकी हूँ
तुम्हारे चोरी में,
तुम चोर हो, चोरी करते हो ..
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