INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

कविताओं का सम्बन्ध हमारी संवेदनाओं से है...

मन की गहराइयों से निकली ये हिंदी कविताएँ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावनाओं की सच्ची अभिव्यक्ति हैं। यहाँ आपको प्रेम, विरह, प्रेरणा और जीवन के अनुभवों से जुड़ी ऐसी भावनात्मक कविताएँ मिलेंगी, जो आपके दिल की गहराइयों को स्पर्श करेंगी.

यहाँ प्रस्तुत हर कविता एक कहानी बयाँ करती है — कभी मेरी, कभी आपकी, तो कभी किसी अनजाने मन की.  इन कविताओं में अभिव्यक्ति की उड़ान कविता के परंपरागत बंधनों से भी परे है, क्योंकि भावनाओं के प्रवाह पर कोई सीमा नहीं होनी चाहिए.

InsideMe पर हम आपके लिए चुनिंदा और मौलिक हिंदी कविता संग्रह लेकर आते हैं, जो न केवल पढ़ने योग्य हैं, बल्कि आत्मा से महसूस किए जाने योग्य भी हैं.

प्रस्तुत हैं कुछ ऐसी विशिष्ट कविताएँ, जो जीवन की विविध भावनाओं को शब्दों में पिरोती हैं…

हम कविता चुराते है

हम कविता चुराते है.

हम कविता चुराते है, गिरती हुई पलकों से,
जुबा की खामोशी और आँखों की बोली से...
( चेहरे की भाषा से बनती एक खुबसूरत कविता ) ...
निशान

निशान

अक्सर, 
एक निशान छोड़ जाता है वह,
मेरे निशान के आस पास ....

( पनपते रिश्तों पर एक भावपूर्ण कविता. ) ...

तुम वक़्त हो एक दिन का

हम दोनों में एक फर्क है,
मैं जीवन हूँ प्रतिदिन का,
तुम वक़्त हो एक दिन का ... 

( एक दिन के महत्त्व को परिभाषित करती एक भावपूर्ण रचना ) ...
अधूरापन

अधूरापन

अधूूरापन, सक्रियता को जीवित रखता है. जीवन को संयमित रखता है. महान गीतकार, संगीतकार, गायक श्री रविन्द्र जैन जी इसके उदहारण हैं ...
बेवजह बातें

बेवजह बातें हो जाती हैं

कभी कभी, बेवज़ह बातें हो जाती हैं,
जब  दिल करता है जुड़ने का,
एक जरूरत निकल आती है...
( बेवजह बातों का भी कुछ वजह होता है. ) ...
आओ बात करें

आओ बात करें

जब दो दिलों के बीच भावनाएं एक सीमा से निकलती है तो बातों का सिलसिला शुरू होता है. कविता "आओ बात करें " उसी का चित्रण है ...
रिश्तों की बंदिश

रिश्तों की बंदिश

दो व्यक्तियों के बीच एक प्राकृतिक रिश्ता बन जाता है किन्तु समाज इसकी स्वीकृति नहीं देता. प्रेमी रिश्तों की बंदिश से निकालने के लिए जीवन भर फडफडाते रहते है ...
थोड़ा पीछे रहा करो

थोड़ा पीछे रहा करो

कुछ लोग बचपन और जवानी में ही वैराग्य की ओर मुड़ जाते हैं. उन्हें हिदायत देती यह कविता: " अभी, उम्र से आगे क्यों हो, थोड़ा पीछे रहा करो. " ...
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