INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

बेहतर लगी जिंदगी

यह अभिव्यक्ति गांवों की प्राकृतिक सुन्दरता को चित्रित कराती है. जब आप शहरी जीवन से उबकर गाँव में जायेंगे तो यही कहेंगे " बेहतर लगी जिंदगी "

बेहतर लगी जिंदगी ...

न जाने क्यों
बेहतर लगी ज़िंदगी.
पीपल के नीचे, पनघट के तट पर
हवाओं के झोंकों में कैसी है ताज़गी.
न जाने क्यों
बेहतर लगी ज़िंदगी…

न होटल, न पार्क,
न मोटर, न हॉर्न,
न घड़ी की सुइयाँ,
न बनावटी श्रृंगार.
पुराने फटे कपड़ों में
खूबसूरत दिखी बंदगी.
न जाने क्यों
बेहतर लगी ज़िंदगी…

दिल को लुभाती है,
हर पल बुलाती है.
पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण
हर घर में दिखती है
गांवों की सादगी.
न जाने क्यों
बेहतर लगी ज़िंदगी…

मुझको बुलाती है,
हर पल तरसाती है.
लौट आओ घर अब,
गीत गुनगुनाती है.
खेतों-खलिहानों में है
फिजाओं की आवारगी.
न जाने क्यों
बेहतर लगी ज़िंदगी…

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