अक्सर...

अक्सर,
हम अपनी बातों को
उनसे कह नहीं पाते,
जब लम्हा कोई गुजरता है
उनकी तस्वीर लिए,
आरजू उन्हें छूने की
हम रोक नहीं पाते.
अक्सर,
हम अपनी बातों को
उनसे कह नहीं पाते.
सिलसिला,
रुकता नहीं उस सफर का
जहां हम पहुँच नहीं पाते,
कदम उठते हैं जो मंजिल की तरफ
उन कदमों की आहट को
वह सुन नहीं पाते,
अक्सर हम अपनी बातों को
उनसे कह नहीं पाते.
उनके आशियानें में
मेरे नाम का कोई जगह न सही,
मेरे यादों के महल से वह निकल नहीं पाते.
मेरे इस हालात का अहसास,
शायद उन्हें हो ना हो
हम अपनी कहानी
उन्हें सुना नहीं पाते,
चाह कर भी दिल के तारों को
हम छेड़ नही पाते
अक्सर,
हम अपनी बातों को
उनसे कह नहीं पाते..
***