INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

ऐसा लगता है

ऐसा लगता है ये कल की बात है,
गुज़रे ज़माने की नहीं, ये तो सुबह की बात है ...
उम्र की रफ़्तार को महसूस कराती कविता

ऐसा लगता है...

ऐसा लगता है कविता - यादों और ज़िंदगी की गहराई दर्शाती चित्र

ऐसा लगता है
ये कल की बात है,
गुज़रे ज़माने की नहीं,
ये तो सुबह की बात है।
उनको एहसास हो ना हो,
मेरे लिए तो फ़क्र की बात है।
ऐसा लगता है,
ये कल की बात है…

ये सच है कि अब तक,
कई ज़माने गुज़ारे हैं,
पर ज़मानों की उम्र,
यादों की उम्र से बहुत छोटी है।
वो ज़माने तो गुज़र गए,
यादें आज भी साथ हैं।
ऐसा लगता है,
ये कल की बात है…

क्या फ़र्क पड़ता है,
इस ढलती उम्र से,
जो यादों को न ढाल सका।
क्या फ़र्क पड़ता है दैहिक मिलन से,
जो दिनों को न बाँध सका।
क्या फ़र्क पड़ता है दूरियों से,
जो ज़ख्मों को न भर सका।
मजबूरियों का जीवन से,
सदियों का साथ है।
ऐसा लगता है,
ये कल की बात है…

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