आज मुलाकात हुई ...

स्रोत :– व्यक्ति की कुछ चाहतें जो वास्तविक जीवन में पूरी नहीं होती वह उसके अवचेतन मन में हमेशा घूमती रहती है. अक्सर अवचेतन मन की ये कल्पनाएं सपनों में वास्तविक बनकर व्यक्ति को चौका देती है.
आज मुलाक़ात हुई
बातें बेसुमार हुई
दीवारें टूटती रहीं,
सीमाएं सिमटती रहीं ,
दुरी की शून्यता में
गर्म सांसों से पिघलती बर्फों में,
मनमानी इस बार हुई
आज मुलाकात हुई …
दिल भर के मिले,
आलिंगनबध्द मिले
आत्मतृप्ति से ओत प्रोत
हम पहली बार इस तरह मिले,
मेघ मल्हार के आँगन में
अनियत्रित बरसात हुई
इंतजार की हार हुई,
आज मुलाकात हुई…
कोई पहरा नही,
कोई बंधन नही
कुछ ऐसा ही मंजर था,
ख्वाहिशों की मिट्टी से निर्मित
वह एक कच्चा खिलौना था,
जब नींद टूटी तो टूट गया,
वह सच नहीं एक सपना था…
★★★