विचलन

एक टीस पैदा होती है
उन्हें न पाकर ,
उस जगह से
जहाँ उन्हें मिलने की उम्मीद होती है,
एक खीज पैदा होती है
पढ़कर उस विषय को
जिनमें उनकी अनुपस्थिति होती है.
एक शक पैदा होता है
उन बातों में जिनमें
उनकी हामी नहीं होती है.
ढीली लगने लगती है
वह गाँठ जो,
उम्मीदों के धागे से
बँधी होती है.
विश्वास की परिभाषा
कुछ और तो नहीं ?
प्रतीक्षा की सीमाएँ
कहीं युग तो नहीं ?
दो परतों के दरमियाँ
कोई विचलन तो नहीं ?
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