तुम एक ग्रंथ हो ...

तुम एक ग्रंथ हो,
जहां से कहानियां बहुत निकलतीं हैं
मैं उन कहानियों में उलझ जाता हूँ
तुम्हारे घर का रास्ता भूल जाता हूँ
फिर नयी शुरुआत की कोशिश में
जहां से चला था
वहीँ वापस आ जाता हूँ …
तुम एक झरना हो,
जहाँ से नदियां बहुत निकलतीं हैं
तुम तक पहुंचने से पहले
उन नदियों के बहाव में
मैं बहुत दूर चला जाता हूँ,
फिर लौट कर वापस आना
गीली चिकनी ऊंची पहाड़ों के बीच
तुम तक पहुंचना पाना और,
झरने की जल प्रपात से
पुनः नदियों में बह जाना
मेरे जीवन का क्रम है…
जहाँ से नदियां बहुत निकलतीं हैं
तुम तक पहुंचने से पहले
उन नदियों के बहाव में
मैं बहुत दूर चला जाता हूँ,
फिर लौट कर वापस आना
गीली चिकनी ऊंची पहाड़ों के बीच
तुम तक पहुंचना पाना और,
झरने की जल प्रपात से
पुनः नदियों में बह जाना
मेरे जीवन का क्रम है…
तुम एक रहस्य हो,
जहाँ धारणाएं बहुत बनती हैं
हर दिन एक नया प्रश्न देती हो
गणित मेरी कमजोरी है
उत्तर गलत हो जाता है
प्रश्न,अनुत्तरित रह जाते हैं
रहस्य बना रहता है…
जहाँ धारणाएं बहुत बनती हैं
हर दिन एक नया प्रश्न देती हो
गणित मेरी कमजोरी है
उत्तर गलत हो जाता है
प्रश्न,अनुत्तरित रह जाते हैं
रहस्य बना रहता है…
तुम एक समुंदर हो जहाँ,
असंख्य लहरें उठती हैं
मैं उन लहरों के गिरफ्त में
कभी तुम्हारे पास आता हूं
कभी दूर चला जाता हूँ
लहरों के आवेग से मिली ऊर्जा,
रेत की परतों में समा जाती है
एक सफर
मंजिल से पहले लुप्त जाती है….
असंख्य लहरें उठती हैं
मैं उन लहरों के गिरफ्त में
कभी तुम्हारे पास आता हूं
कभी दूर चला जाता हूँ
लहरों के आवेग से मिली ऊर्जा,
रेत की परतों में समा जाती है
एक सफर
मंजिल से पहले लुप्त जाती है….
तुम मृगतृष्णा हो,
मैं जितना पास जाता हूं
तुम उतना दूर और आगे चली जाती हो
प्यास और पानी का अंतराल
कभी खत्म नही होता
कहानियों, झरनों, रहस्यों और
लहरों का कोई अंत नही होता …
मैं जितना पास जाता हूं
तुम उतना दूर और आगे चली जाती हो
प्यास और पानी का अंतराल
कभी खत्म नही होता
कहानियों, झरनों, रहस्यों और
लहरों का कोई अंत नही होता …
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