कुछ सामान छोड़ जाओ...

कुछ सामान छोड़ जाओ,
मैं जी लूंगी उसके आस पास
रिश्तों को सांसों की जरूरत होती है
वो सांसें उन सामानों से मिलती रहेगी,
उनका स्पर्श,
हमारे बीच दूरियों को कुछ कम करेगा
तुम्हारे अनुपस्थिति में
तुम्हारा प्रतिनिधित्व करेगा
तुम नही रुक सकते तो चले जाओ
कुछ सामान छोड़ जाओ ..
नही चाहिए कोई तस्वीर
कमरे के किसी कोने में,
यह तन मन को विचलित करेगी
मेरी अराधना को अवरोधित करेगी
सामानों से
तुम्हारा स्पर्श, खुशबू ,और समीपता मिलेगी
मैं इससे लिपट लूँगी
मैं इससे झगड़ लूँगी
मै इसे मना लूँगी
शून्यता को थोड़ी कम कर लूँगी
तुम नही रुक सकते तो चले जाओ
कुछ सामान छोड़ जाओ ..
यादों की उम्र,
घटनाओं से ज्यादा होती है
तन्हाइयों का साथ
मौजूदगी से ज्यादा होती है
इसका अंदाजा है मुझे
छोटी मुलाकात से उपजी,
लंबी यादों और तन्हाईयों का इन्तजाम
कर रखा है मैने,
मैं जी लूँगी, हंस लूँगी, लड़ लूँगी
तुम नही रुक सकते, चले जाओ
कुछ सामान छोड़ जाओ …
★★★