निर्देशक
लक्ष्मण उतेकर
निर्माता
दिनेश विजन
निर्माता
दिनेश विजन
सिनेमैटोग्राफी
सौरभ गोस्वामी
संगीत
ए. आर. रहमान

विक्की कौशल
महाराज संभाजी

अक्षय खन्ना
औरंगजेब

रश्मिका मंदाना
यसुबाई भोंसले

आशुतोष राणा
हंबीरराव मोहिते

डायना पेंटी
जीनत-उल-निसा
छावा: एक वीरता की दास्तान
हाल ही में रिलीज़ हुई ऐतिहासिक फिल्म “छावा” इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। दर्शकों की इस फिल्म में गहरी रुचि देखने को मिल रही है, और यह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन भी कर रही है । आखिर इस फिल्म में क्या खास है ? क्या इसे देखना चाहिए या नहीं ? आपकी इस दुविधा को दूर करने के लिए प्रस्तुत है एक निष्पक्ष समीक्षा ।
फिल्म के शीर्षक का अर्थ और पृष्ठभूमि
फिल्म देखने के बाद सबसे पहला सवाल यह उठा कि “छावा” नाम क्यों रखा गया ? पूरी फिल्म में यह शब्द केवल एक बार सुनने को मिलाता है, जिससे इसका संदर्भ स्पष्ट नहीं हो पता है । “छावा ” का अर्थ जानने के लिए आप को फिल्म छोड़कर इंटरनेट पर जाना होगा और वहां से आप को यह पता चलेगा कि “छावा” का अर्थ शेर का बच्चा होता है । फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जो अपने पिता की तरह ही एक वीर योद्धा थे ।
संभाजी महाराज ने मुगल शासक औरंगज़ेब के विरुद्ध कई युद्ध लड़े और अपनी वीरता का परिचय दिया। उनकी दृढ़ता और साहस ने औरंगज़ेब की सत्ता के लिए गंभीर चुनौती पेश की।
कहानी का सारांश
फिल्म की कहानी शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद शुरू होती है। उनके निधन के बाद, औरंगज़ेब यह मानने लगता है कि अब दक्षिण भारत पर उसका पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा और कोई उसे चुनौती नहीं दे सकेगा। वह निश्चिंत होकर शासन करने लगता है, लेकिन तभी संभाजी महाराज “छावा” के रूप में उभरते हैं और मुगलों के खिलाफ संघर्ष छेड़ देते हैं ।
संभाजी महाराज कई युद्धों में विजय प्राप्त करते हैं और अपने साहस से औरंगज़ेब को भी हिला देते हैं। लेकिन अंततः, कुछ विश्वासघाती लोग मुगलों से मिल जाते हैं और उनके कारण संभाजी महाराज को बंदी बना लिया जाता है। इसके बाद, औरंगज़ेब उन्हें अत्यंत दर्दनाक यातनाएं देकर मौत के घाट उतारता है ।
फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगज़ेब चाहता था कि संभाजी महाराज उसकी शर्तों को मान लें और समर्पण कर दें, लेकिन उन्होंने अंतिम समय तक वीरता और स्वाभिमान बनाए रखा । उनका धैर्य और दृढ़ संकल्प औरंगज़ेब के लिए ही भारी साबित होता है ।
फिल्म की खासियत
- वीरता और देशभक्ति का जज़्बा – यदि आप छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा इतिहास के प्रशंसक हैं, तो यह फिल्म आपको अवश्य देखनी चाहिए। यह फिल्म हमें उस दौर की बहादुरी, संघर्ष और बलिदान की झलक दिखाती है ।
- अक्षय खन्ना की बेहतरीन अदाकारी – फिल्म में औरंगज़ेब की भूमिका में अक्षय खन्ना ने जबरदस्त अभिनय किया है । उनके हाव-भाव और संवाद अदायगी बेहद प्रभावशाली हैं ।
- संवादों की ताकत – फिल्म के संवाद बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली हैं, जो दर्शकों को बांधे रखते हैं ।
- युद्ध दृश्यों का शानदार चित्रण – युद्ध के दृश्य बहुत ही प्राकृतिक और प्रभावशाली तरीके से फिल्माए गए हैं । तलवारबाजी, घुड़सवारी और युद्ध रणनीतियों को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया है ।
कमजोर पक्ष
- शीर्षक की अस्पष्टता – “छावा” नाम का सही संदर्भ फिल्म में स्पष्ट नहीं किया गया, जिससे दर्शकों को इसे समझने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ सकता है । किसी फिल्म के टाइटल का अर्थ समझने के लिए उस फिल्म को छोड़कर कहीं और भटकना पड़े तो यह फिल्म का एक कमजोर पक्ष है .
- अंतिम दृश्य का अधिक खिंचना – फिल्म के अंतिम दृश्य में एक लंबी कविता को शामिल किया गया है, जो कथा प्रवाह को धीमा कर देती है और दर्शकों को उबाऊ लगने लगती है ।
- हिंदुत्व की झलक – फिल्म के कुछ दृश्य और संवाद हिंदुत्व की ओर संकेत करते है जिसके कारण कुछ दर्शक इसे नापसंद कर सकते हैं .
फिल्म छावा क्यों देखें ?
यदि आप भारतीय मुगलकालीन इतिहास में रुचि रखते हैं, संभाजी महाराज की वीरता और देशभक्ति के प्रशंसक हैं, या फिर विक्की कौशल और अक्षय खन्ना जैसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं के फैन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए जरूर देखने लायक है ।
फिल्म छावा क्यों नहीं देखें ?
यदि आपको हिंसा, युद्ध के दृश्य, क्रूरता और ऊंची आवाज़ वाले दृश्यों से परहेज है, तो यह फिल्म शायद आपकी पसंद न हो ।
निष्कर्ष
“छावा” एक प्रेरणादायक फिल्म है, जो भारतीय इतिहास के एक अनदेखे नायक संभाजी महाराज की वीरता और बलिदान को दर्शाती है । यह फिल्म न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का सजीव चित्रण करती है, बल्कि देशभक्ति और स्वाभिमान का संदेश भी देती है । यदि आप इतिहास, युद्धकला और वीरगाथाओं में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए ।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)