चेहरा जो खामोश है ...

चेहरा जो खामोश है,
एक किताब नज़र आता है.
उम्मीदों, ना-उम्मीदों का
एक सार नज़र आता है.
उलझी हुई ज़िंदगी का
हिसाब नज़र आता है.
चेहरा जो खामोश है,
एक किताब नज़र आता है…
अरमानों की आँसुओं से
बनती तस्वीरें,
अनगिनत जज़्बातों से
घायल तक़दीरें,
फ़र्ज़ और ईमानों की
जकड़ी ज़ंजीरें.
खामोश सागर में
एक तूफ़ान नज़र आता है.
चेहरा जो खामोश है,
एक किताब नज़र आता है…
दर्ज़ हैं दर्दों की लंबी कहानियाँ,
कैद हैं सपनों की
ख़ूबसूरत परछाइयाँ.
सिमटी हैं तमन्नाओं की
मचलती ऊँचाइयाँ.
दर्द-ए-बयाँ करने को
व्याकुल तन्हाइयाँ.
अनंत पन्नों का उपन्यास नज़र आता है.
चेहरा जो खामोश है,
एक किताब नज़र आता है…
मुखपृष्ठ,
जो निष्कर्ष हुआ करता है किताबों का,
ज़िंदगी के प्रश्नों व कठोर जवाबों का,
समय के करवटों व यादों की सिलवटों का.
मायूस ज़िंदगी का
प्रतिबिंब नज़र आता है.
चेहरा जो खामोश है,
एक किताब नज़र आता है…
★★★