बेवजह बातें हो जाती हैं ..

कभी कभी,
बेवज़ह बातें हो जाती हैं
जब दिल करता है जुड़ने का
एक जरूरत निकल आती है
इरादा कुछ और होता है
विषय कुछ और होता है
चर्चा कुछ और हो जाती है
कभी कभी,
बेवज़ह बातें हो जाती हैं…
सुबह हो या शाम
अक्सर कोई आ जाता है
उसकी उपस्थिति
दिल को भा जाता है
खयालों से कैसे निकाले उसे
कुछ कहने को मन मचल जाता है
बसंत की बातें होती नहीं
पतझड़ की बातें हो जाती है
कभी कभी
बेवज़ह बातें हो जाती हैं….
मुद्दा कुछ और होता है
चर्चा कुछ और हो जाती है
फासले कुछ कम नहीं होते
रास्ते गुजर जातीँ हैं
कोशिशें हर बार होती हैं
फिर भी कुछ
अहम् बातें छुट जाती हैं.
कभी कभी
बेवज़ह बातें हो जातीं हैं …
★★★