ऐ दिन ...

ऐ दिन,
आज सुबह ही तो खिले थे तुम
एक बच्चे की तरह.
दो पहर में मिले थे,
किसी युवा की तरह.
शाम ढलते देखा था तुझे,
बुजुर्गों की तरह.
आज रात चले जाओगे तुम
किसी मुसाफिर की तरह.
ऐ दिन,
तुम साथ चले हो मेरे,
हमसफ़र की तरह,
तेरा गुजर जाना
भावुक करता है मुझे
एक दोस्त की तरह …
ऐ दिन,
मेरे साथ जीये हो तुम,
एक हमदर्द की तरह
तुझसे बिछड़ जाना
भावुक करता है मुझे
जीवन साथी की तरह …
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