INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

आओ बात करें

जब दो दिलों के बीच भावनाएं एक सीमा से निकलती है तो बातों का सिलसिला शुरू होता है. कविता "आओ बात करें " उसी का चित्रण है.

आओ बात करें ...

आओ बात करें

आओ बात करें,
हिंदी, उर्दू या अंग्रेजी में नही
किसी और लहज़े में करें,
विघ्न न हों, नाजुक प्रसंगों के दरम्यान
उस भाषा और फ़िजा की तलाश करें
आओ बात करें….

बातें जो अखबारों में नही छपतीं
तस्वीरें जो टीवी पर नही दिखतीं
कहानियां जो फिल्मों में नही होतीं
दर्द जो कविताओं में नही ढलतीं,
प्रतिविम्ब जो चलतें है साथ साथ,
हर वक्त, दिन हो या रात
उनसे साक्षात करें
आओ बात करें…
 
पिजड़े में बंद जज्बातों को
अब आजादी चाहिए,
उन्हें जिंदा रहने के लिए
धूप, पानी और हवा  चाहिए
सिलसिला,
उत्तपत्ति और विकृति का ठीक नही,
उन्हें बचपन, जवानी और बुढ़ापा चाहिए.
मत रोको उन बदलों को
जो तपन में बरसात करे
आओ बात करें…
 
नजरंदाज़ जज्बातों जायज नही,
इन्हें इस पार करें या उस पार करें
अब, और न रोको उन्हें,
आने दो, बोलने दो, सुनने दो
फिर चाहें इनकार करें या
इक़रार करें
आओ बात करें…

                 

                            ***

 

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