INSIDE ME

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

यात्रा तो शुरू करो, रास्ते मिल ही जायेंगें -- आर.पी.यादव

तुम्हारा हर एक दिन, एक जीवन के समतुल्य है -- आर.पी.यादव

सूर्यास्त होने तक मत रुको, चीजें तुम्हे त्यागने लगे, उससे पहले तुम्ही उन्हें त्याग दो -- रामधारी सिंह दिनकर

हर परिस्थिति में एक खुबसूरत स्थिति छुपी होती है --आर पी यादव

जिंदगी के पृष्ट

प्रतिदिन की जिंदगी को एक डायरी की पृष्ट से तुलना की गयी है और यह भी बताया गया है की इन पृष्ठों की संख्या असीमित नहीं, सिमित है.

जिंदगी के पृष्ट

जिंदगी के पृष्ट
 

जिंदगी एक किताब है
जिसके पृष्ठों की संख्या निश्चित है,
हर दिन एक पृष्ठ है
उसी किताब का,
जो सुबह खुलता है और
रात को बंद हो जाता है,
कभी पूरा, कभी अधूरा।
पुनः दूसरे दिन
एक नया पृष्ठ खुलता है,
फिर वही क्रम चलता है…

गुज़र चुकी जिंदगी के
तमाम पृष्ठ कोरे हैं,
कुछ पूर्ण, कुछ अधूरे हैं,
कुछ बदसूरत, कुछ खूबसूरत हैं,
कुछ निरर्थक, कुछ संगीन हैं,
कुछ सफेद, कुछ रंगीन हैं।
बेअर्थ पृष्ठों की संख्या मोटी है,
खूबसूरत पृष्ठों की संख्या छोटी है…

कौन-सी जिंदगी कितने पृष्ठों की है,
यह एक अनुत्तरित प्रश्न है।
फिर भी हर रोज
एक नया पृष्ठ खोल रहे हैं,
सिर्फ तारीख ही तो लिख रहे हैं,
बाकी सब छोड़ रहे हैं,
इस भ्रम में कि
इनकी संख्या तो अनंत है,
एक और जिंदगी तोड़ रहे हैं…

           ★★★

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top