शब्दों की उम्र

इन शब्दों की उम्र
हमारी उम्र से कही लम्बी है,
मनोभावों से निर्मित
शब्दों की ये श्रृंखला,
पहाड़ों से भी ऊची और
समंदर से गहरी है …
ये शब्द जब,
स्वतन्त्र और निष्पक्ष होते है
किसी पीड़ित मन की आवाज
और तन्हाईओं के हमदर्द होते है
दर्द जो पिहल न पाये आँखों में
उन्ही बर्फों के खंड होते है,
आह, जो निकल न पाए जुबाँ से,
उन्ही दर्दों की दास्ताँ होती है
इनके अन्दर जीवन की कड़ी है
इनकी उम्र,
हमारी उम्र से कही लम्बी है…
शब्दों की उत्पत्ति,
जिन्दगी के बदलते हालातों से है,
शब्दों का सम्बन्ध
हमारे दिल के तारों से है
शब्दों का भार
इनके भावों के भेदन से है,
शब्दों की धार
तलवारों से तेज और,
हर जख्म से गहरी है
इनकी उम्र,
हमारी उम्र से कही लम्बी है…
★★★