चलो, तकरार करते है ...

चलो, तकरार करते हैं
तुम मुझे मतलबी कहो
मैं तुझे बेवफा कहता हूं
एक ग़लती तुम करो
एक ग़लती मैं करता हूँ
सुना-सुना सा लगता है
कुछ सुने बिना,
एक दूसरे के चाहत को
नजरअंदाज करते हैं
चलो, तकरार करते हैं …
तुम पूरब चलो, मैं पश्चिम चलता हूँ
तुम हाँ कहो, मैं ना कहता हूँ
तुम मुझ पर शक करो
मैं तुम पर संदेह करता हूँ
विश्वास की मज़बूती
भावनाओं का कद्र और
रिश्तों की डोरी में,
कुछ तो लचक होगा
उस लचक का इस्तेमाल करते है
चलो, तकरार करते है ….
बहुत करीब है हम, बहुत दिनों से
एक दूरी का इंतज़ाम करते है
आकर्षण कितना है, हमारे दरम्यान
इसे जानने की ख़्वाहिश में
कुछ विपरीत काम करते है
बहुत तेज जा रहे है हम
सूनी सीधी रास्तों से,
आगे किसी मोड़ पर आराम करते है
कुछ तो धीमी होगी रफ्तार जिंदगी की,
इसे रोकने की कोशिश
एक बार करते हैं
चलो, तकरार करते है …
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