"ज़िंदगी जब तक है, लगता है हम अमर हैं, लेकिन एक क्षण में सबकुछ बदल सकता है "

जब आसमान भी खामोश हो गया…
12 जून 2025 की शाम अहमदाबाद के आसमान में जो घटा, वह महज़ एक दुर्घटना नहीं थी — वह जीवन की अस्थिरता का आईना था। एक व्यावसायिक विमान, जिसे दर्जनों परिवारों को सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचाना था, आग की लपटों में लिपट गया। पल भर पहले जो लोग मुस्कुरा रहे थे, अगली ही क्षण वे धुएं में खो गए।
कल्पना कीजिए — एक बच्चा खिड़की से बाहर झांक रहा है, एक मां अपने परिवार के संग सुरक्षित पहुंचने की प्रार्थना कर रही है, कोई अपने सपनों की मंज़िल की ओर उड़ान भर रहा है… और अचानक, सब कुछ शून्य में समा जाता है।
ये हादसा हमें क्या सिखाता है?
हर त्रासदी केवल आँसू नहीं देती, कुछ चुपचाप सीख भी देकर जाती है। अहमदाबाद की यह हृदयविदारक दुर्घटना भी हमें कई गहरी बातें समझा गई:
मृत्यु पूर्वनिर्धारित होती है – यह सिद्धांत हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक दर्शन की पुष्टि करता है।
जिंदगी अनिश्चित है – कितनी भी योजना बना लें, अंत कब और कैसे आएगा कोई नहीं जानता।
आज ही जीवन का सार है – इसलिए हर दिन को प्रेम, कृतज्ञता और पूरी जागरूकता से जीना चाहिए।
घर से लौटना कोई साधारण बात नहीं – हर बार जब हम यात्रा से सुरक्षित लौटते हैं, वह ईश्वर की विशेष कृपा होती है।
विज्ञान पूर्ण नहीं है – टेक्नोलॉजी चाहे जितनी विकसित हो, मानव त्रुटियाँ संभव हैं। यह घमंड करने का समय नहीं, विनम्रता सीखने का क्षण है।
हम प्रकृति के अधीन हैं – यह घटना फिर से याद दिलाती है कि हम ईश्वर या प्रकृति से ऊपर नहीं हैं।
हादसों का ‘इंटरटेनमेंट’ बनाना — एक घृणित प्रवृत्ति
इस संवेदनशील हादसे के कुछ ही घंटों बाद, हमने देखा कि कैसे कुछ सोशल मीडिया यूट्यूबर्स और कथित ‘समाजसेवी’ इसे “कंटेंट” में बदलने लगे।
“एक ओर परिजन अपनों की राख चुन रहे हैं,
और दूसरी ओर स्क्रीन पर लोग व्यूज गिन रहे हैं…”
वे मिर्च-मसाले लगाकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं। कुछ ने दुर्घटना की फुटेज में भावनात्मक बैकग्राउंड म्यूज़िक जोड़ दिए, कुछ ने thumbnails में रोती महिलाओं की तस्वीरें डाल दीं — सिर्फ़ इसलिए कि अधिक व्यूज मिलें, अधिक कमाई हो।
ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए:
विमानन प्रणाली एक अत्यंत जटिल और विशेषज्ञ-आधारित क्षेत्र है।
कोई भी अनुमान या ‘विश्लेषण’ केवल भ्रामक हो सकता है।
संबंधित अधिकारी और जांच एजेंसियाँ अपनी प्रक्रिया में लगी होंगी। हमें उनके निष्कर्ष का संयमपूर्वक इंतज़ार करना चाहिए।
हम इस हादसे से क्या सीख सकते हैं?
इस हादसे से उठता सबसे अहम प्रश्न यह नहीं है कि विमान क्यों गिरा, बल्कि यह है कि हम कैसे जी रहे हैं?
क्या हम हर दिन के लिए कृतज्ञ हैं?
क्या हम अपनों को पर्याप्त समय देते हैं?
क्या हम अपनी मृत्यु की संभाव्यता को समझते हुए जीवन को संपूर्णता से जीते हैं?
एक मौन श्रद्धांजलि
“जो चले गए, वो सितारे बन गए,
और हमें सिखा गए — जीवन क्या है…”
अहमदाबाद प्लेन हादसे में जो भी लोग असमय इस दुनिया से विदा हो गए, उन्हें हम दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
उनके परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं।
दुर्घटना का सन्देश:
इस त्रासदी ने हमें फिर से याद दिलाया कि जीवन कितना अस्थायी है और मानवीय गरिमा कितनी आवश्यक।
आइए, हम सब संयमित भाषा, संवेदनशील दृष्टिकोण और सम्मान के साथ इस घटना को देखें।
और, सबसे महत्वपूर्ण – जीवन को छोटा समझकर, उसे हल्के में न लें।
हर दिन, हर सांस, हर मुस्कान — अमूल्य है।